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लेखनी कहानी -08-Jan-2023

पड़ गई है बर्फ जज्बातों पर मेरे,

उसकी कोई खबर इस साल भी नही मिली।
क्या इस कदर कोई मसरूफ हो सकता है,
की दोस्तो से एक बार भी बात न करे।
जहन अब तो सोचने पर मजबूर है,
उसकी दोस्ती थी या दिखाबा जो इस तरह दूर है।
चाहत अब तू ही बता क्या बो वक़्त के हाथों मजबूर है।
                       (चाहत)

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10 Comments

प्रिशा

04-Feb-2023 07:34 PM

👌👌👌👏

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शानदार शब्द संयोजन

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Sangeeta( chahat) kushwah

10-Jan-2023 12:35 AM

धन्यवाद आदरणीय

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Sangeeta( chahat) kushwah

10-Jan-2023 12:35 AM

धन्यवाद

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Reena yadav

09-Jan-2023 05:53 AM

Nice 👌

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Sangeeta( chahat) kushwah

10-Jan-2023 12:35 AM

शुक्रिया

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